मोटापा घटाने व कम करने के लिए आयुर्वेदिक दवा

मोटापा दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इससे मेटाबॉलिज्म, हाई ब्लडप्रेशर, हाई ब्लड शुगर और खराब रक्त लिपिड प्रोफाइल जैसी समस्याएं आने लगती हैं और धीरे-धीरे आपका स्वास्थ्य खराब होने लगता है। नॉर्मल लोगों की अपेक्षा मोटे लोगों में किसी भी बीमारी का खतरा दोगुना हो जाता है।

मोटापा या ओवरवेट को कई लोग इग्नोर कर देते हैं लेकिन उन्हें नहीं पता कि आगे चलकर ये शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक आदि बीमारियों का कारण बन सकता है। मोटापा कई बायोलॉजिकल फैक्टर्स जैसे- जैनेटिक्स और हार्मोन्स पर भी निर्भर करता है।

चाय और कॉफी हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गए हैं। जहां पहले हम इन्हें सिर्फ स्वाद भर के लिए पीते थे, वहीं आज स्वास्थ्य के लिहाज से इनका सेवन किया जा रहा है। चाय में तो पहले ही हर्बल और ग्रीन-टी के रूप में कई विकल्प बाजार में उपलब्ध हैं। अब इसी क्रम में ग्रीन कॉफी (Green coffee) का नाम भी जुड़ गया है। जी हां, ग्रीन कॉफी, जो सामान्य रूप से मिलने वाली कॉफी से हट कर है और बेहद गुणकारी भी है। अगर आप वजन घटना चाहते हैं, तो ग्रीन कॉफी आपके लिए सबसे बेहतर है।

वजन क्यों बढ़ता है

1.   अपर्याप्त नींद

हेल्दी रहने के लिए ही नींद पर्याप्त मात्रा में लेना आवश्यक नहीं है, बल्कि यह आपके वजन से भी जुड़ा हुआ है। जो लोग आठ घंटे से कम सोते हैं, उन्हें अत्यधिक मात्रा में भूख लगती है। दरअसल, कम सोने से भूख को दबाने वाला हार्मोन लेप्टिन बढ़ जाता है। जिससे व्यक्ति को बार−बार भूख लगती है। खासतौर से, रात के समय जब व्यक्ति जाग रहा होता है तो उसे भूख अधिक लगती है और वह कुछ न कुछ अनहेल्दी खा लेता है। इस समस्या से निपटने के लिए एक बेहतरीन स्लीप हाईजीन को फॉलो करना बेहद आवश्यक है। इसके लिए सोने से दो घंटे पहले भोजन कर लें। साथ ही टीवी व अन्य इलेक्ट्रिक डिवाइस को भी बेडरूम से दूर रखें। इतना ही नहीं, जहां तक हो, सोने से पहले कैफीन युक्त पेय पदार्थ का सेवन करने से परहेज करें। इससे नींद में बाधा उत्पन्न होती है।

2.  दवाईयों का सेवन

चूंकि आजकल लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी शारीरिक समस्या से ग्रस्त है और उस समस्या के निवारण के लिए लोग तरह−तरह की दवाईयों का सेवन भी करते हैं। लेकिन कभी−कभी कुछ दवाईयों जैसे स्टेयारड, बर्थकंट्रोल पिल्स, डायबिटीक दवाईयां व डिप्रेशन की दवाईयों के साइड इफेक्ट के रूप में वजन बढ़ना शुरू हो जाता है। इसलिए अगर आपको ऐसा लगता है कि किसी दवाई का लगातार सेवन करने से आप मोटापे की जद में आ रहे हैं तो एक बार डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें।

3.  धूम्रपान छोड़ना

यह बात तो हम सभी जानते हैं कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और जितना जल्दी हो सके, इस आदत से निजात पा लेना चाहिए। लेकिन शायद आपको इस बात की जानकारी न हो लेकिन स्मोकिंग छोड़ने के बाद कुछ लोगों का वजन तेजी से बढ़ने लगता है। इस समस्या से बचने का एक आसान तरीका है कि जब भी आप स्मोकिंग को अलविदा कहें तो उसके साथ−साथ अपने आहार व व्यायाम पर पर्याप्त ध्यान दें ताकि वजन बढ़ने न पाए। इसके अतिरिक्त कई बार कुछ मेडिकल कंडीशन भी वजन बढ़ने की वजह बन जाती है। इस स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेना बेहद आवश्यक है।

4.  आवश्यकता से अधिक तनाव

वर्तमान समय में, तनाव हर किसी व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन चुका है। लेकिन अगर तनाव आवश्यकता से अधिक बढ़ जाए तो इससे कोर्टिसोल का स्तर भी बढ़ जाता है। एक स्टडी के मुताबिक, कोर्टिसोल का उच्च स्तर व फैट मास का आपस में गहरा नाता है। कोर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन कई तरह की समस्याएं पैदा करने के साथ−साथ वजन भी बढ़ाने का काम करता है। इसलिए जहां तक संभव हो, स्ट्रेस फ्री रहने की कोशिश करें।

क्यों ग्रीन कॉफी

क्लोरोजेनिक एसिड नाम का केमिकल ग्रीन कॉफी में बड़ी मात्रा में होता है. क्लोरोजेनिक एसिड का काम है कि वो शरीर में मौजूद अल्फा-ग्लुकोसाइडेज का काम करना रोक देता है. आसान भाषा में इसका मतलब यह है कि खाना खाने के बाद शरीर में पहुंचे कार्बोहाइड्रेट को कोशिकाओं में जमने से रोकता है।

ग्रीन कॉफी पीने के ये हैं फायदे

  • डायबिटीज और मोटापे को कम करने में भी बहुत कारगर सिद्ध होता है।
  • कैंसत देने में भी क्लोरोर को माजेनिक एसिड बहुत मददगार साबित होता है।
  • जिन लोगों को यादाश्त कम होने की समस्या हो, उनके लिए भी ग्रीन कॉफी बहुत मददगार होती है।
  • अल्जाइमर के मरीजों पर ग्रीन कॉफ़ी के बहुत सकारात्मक प्रभाव देखे गए हैं।

ग्रीन कॉफी सामग्री

इसे हरे रंग के कच्चे बीजों से बनाया जाता है, जो बिना भुने हुए होते हैं। इन बीजों को इनके प्राकृतिक रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

सामग्री :

  1. ग्रीन कॉफी के करीब 10 ग्राम बीज ।
  2. तीन चौथाई कप गर्म पानी ।

बनाने की विधि

  1. ग्रीन कॉफी बीज का पैकेट बाजार में व ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध है। संभव हो तो आप किसी आयुर्वेदिक दुकान से ही ग्रीन कॉफी खरीदें। वहां आपको अच्छी गुणवत्ता की ग्रीन कॉफी मिल सकती है।
  2. आप रात को पानी में बीजों को डालकर रख दें।
  3. अगली सुबह बीजों सहित पानी को करीब 15 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें। इससे बीजों का हरा रंग पानी में आ जाएगा। अब आप पानी को आंच से उतार लें और छान लें ।
  4. अगली सुबह बीजों सहित पानी को करीब 15 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें। इससे बीजों का हरा रंग पानी में आ जाएगा। अब आप पानी को आंच से उतार लें और छान लें।
  5. जब पानी सामान्य हो जाए, तो उसे पिएं।
  6. वहीं, अगर आपके पास ग्रीन कॉफी का पाउडर है, तो आप पानी को उबाल कर उसमें पाउडर का एक पाउच डालकर घोल लें और पिएं।

सावधानी

ग्रीन कॉफी में चीनी या शहद का प्रयोग न ही करें, तो बेहतर होगा। साथ ही इसमें दूध भी न मिलाएं। इसे ऐसे ही पिएं और दिनभर में अधिक से अधिक दो कप का ही सेवन करें।

ग्रीन कॉफी के उपयोग

  1. वजन नियंत्रण : अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं और किसी भी तरह की डाइट का अच्छी तरह पालन नहीं कर पा रहे हैं, तो ग्रीन कॉफी का सेवन शुरू कर दीजिए। ग्रीन कॉफी में अत्यधिक मात्रा में केल्प (एक प्रकार का समुद्री खरपतवार) होता है, जिसमें भरपूर मात्रा में खनिज और विटामिन पाए जाते हैं। यह शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को संतुलित बनाए रखता है। साथ ही यह मेटाबॉलिज्म के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे शरीर में मौजूद जरूरत से ज्यादा चर्बी और कैलरी को कम किया जा सकता है (2)। इसलिए, ग्रीन कॉफी वजन कम (green coffee weight loss) करने के लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकती है।
  2. डायबिटीज : टाइप-2 डायबिटीज से ग्रस्त मरीज ग्रीन कॉफी का सेवन कर सकते हैं। इसे पीने से रक्त में बढ़ा हुआ शुगर का स्तर कम हो सकता है। साथ ही वजन भी कम होने लगता है और ये दोनों चीजें ही टाइप-2 डायबिटजी को ठीक करने के लिए जरूरी हैं।
  3. सिरदर्द : अगर ग्रीन कॉफी को सीमित मात्रा में पिया जाए, तो यह सिरदर्द से भी राहत दे सकती है। यह न सिर्फ सिरदर्द को कम कर सकती है, बल्कि उसे दूर भी कर सकती है। ग्रीन कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट इस काम में मदद करते हैं।
  4. ह्रदय रोग : ग्रीन कॉफी में क्लोरोजेनिक एसिड होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इसके सेवन से रक्त नलिकाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और ह्रदय रोगों से लड़ने में मदद मिलती है। साथ ही ग्रीन कॉफी पीने से ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है और रक्तचाप नियंत्रित होता है। इससे उन लोगों को फायदा हो सकता है, जो डायबिटीज व ह्रदय रोग से ग्रस्त हैं ।
  5. कैंसर : कैंसर जैसी बीमारी के लिए भी ग्रीन कॉफी कारगर है। इसमें मौजूद फेनोलिक यौगिक ट्यूमर को पनपने से रोकने में सक्षम हैं। साथ ही यह कैंसर को नियंत्रित कर उसे बढ़ने से रोकने में भी सक्षम है। यह विभिन्न तरह के कैंसर को पनपने से रोक सकता है। इसलिए, ग्रीन कॉफी को अपनी दिनचर्या में शामिल करना फायदे का सौदा हो सकता है ।

ग्रीन कॉफी के नुकसान

हमारे बुजुर्गों ने हमे सिखाया है, कि किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं होती। अगर कोई भी काम जरूर से ज्यादा किया जाए या फिर किसी खाद्य पदार्थ का अधिक सेवन किया जाए, तो नुकसान होना तय है। यह नियम ग्रीन कॉफी पर भी लागू होता है। अगर आप दिनभर में दो कप से ज्यादा ग्रीन कॉफी का सेवन करते हैं, तो फायदा होने की जगह नुकसान हो सकता है। आइए, जान लेते हैं कि यह किस प्रकार हानिकारक साबित हो सकती है।

  • अधिक ग्रीन कॉफी पीने से शरीर में होमोसिस्टीन का स्तर बढ़ सकता है। यह एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो शरीर में अधिक होने पर कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ा सकता है। इससे ह्रदयाघात, स्ट्रोक व उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दिल के दौरे और स्ट्रोक से होने वाली मौतों में 10 प्रतिशत कारण होमोसिस्टीन का होता है।
  • मानसिक रूप से राहत प्रदान करने व सिरदर्द से राहत पाने के लिए ग्रीन कॉफी का सेवन किया जा सकता है, लेकिन अधिक मात्रा लेने पर यह मानसिक विकार व सिरदर्द को बढ़ाने का कारण बन सकती है।
  • इसके अधिक सेवन से रक्त में शर्करा की मात्रा तेजी से कम हो सकती है, जो शुगर के मरीजों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
  • बेशक, यह मेटाबॉलिज्म के लिए अच्छी है, लेकिन ज्यादा सेवन करने पर दस्त लग सकते हैं। यहां तक कि इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (पेट से जुड़ी बीमारी) हो सकता है।
  • इसके अधिक सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती है। ऑस्टियोपोरोसिस में शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। यह समस्या ज्यादातर महिलाओं में देखने को मिलती है।

निष्कर्ष

अतः उपरोक्त सभी बातो से स्पष्ट है । की मोटापा घटाने व कम करने के लिए आयुर्वेदिक दवा केवल और केवल ग्रीन कॉफी ही है। ग्रीन कॉफी कोई अलग तरह की कॉफ़ी नहीं होती, इसे बनाने में कॉफ़ी के सामान्य बीजों का ही प्रयोग किया जाता है। कॉफ़ी के बीजों को अगर भूना नहीं जाये तो वो बीज हरे रंग के ही होते हैं। इन्हीं बीजों से ग्रीन कॉफ़ी तैयार की जाती है। कॉफ़ी के बीजों में क्लोरोजेनिक एसिड होता है, जो कि कॉफ़ी के बीज भूने जाने से खत्म हो जाता है। वैज्ञानिक मानते है कि ग्रीन कॉफ़ी में यह तत्व मौजूद रहता है,और यह हेल्थ के लिए बहुत अच्छा होता है।