भारत में प्राचीन काल से ही आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का प्रयोग हर तरह की समस्या को दूर करने के लिए किया जाता रहा है। और इस परंपरा में भारत बहुत धनी है। आयुर्वेद के पास आज के समय की हर समस्या का समाधान है। और सबसे बड़ी बात है इसमें कीसी तरह के साइड इफेक्ट नहीं है जबकि बाजार में मिलने वाले अनेकों तरह के उत्पाद अपने साथ बहुत से साइड इफेक्ट भी लेकर आते है। आयुर्वेद की दृष्टि से वजन बढ़ना एक चक्रीय प्रक्रिया है। विभिन तरह के असंतुलन के कारण आहार संबंधी अनेकों गलत आदतें पड़ती है जो पाचन तंत्र को कमजोर बनाती है जो वजन बढ़ने में उत्तरदायी कारक है। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ साधरणतः हर जगह मिल जाती है। जो मोटापे को काम करने के साथ और भी अन्य तरह की समस्याओं को दूर कर देती है। आज हम ऐसी ही कुछ जड़ी बूटियाँ जो वजन को काम करने के साथ साथ और भी बहुत तरह से लाभकारी है आप तक लेकर आए है।
त्रिफला
यह आंवला, विभीतकी और हरड़ से निर्मित होता है। यह तीन फलों से निर्मित होने के कारण त्रिफला कहलाता है। त्रिफला को मुख्य रूप से रसायन गुणों के कारण जाना जाता है। यह शरीर में वजन कम करने के साथ साथ अनेकों अन्य तरह के लाभ प्रदान करता है। यह वसा को जमा होने से रोकता है और शरीर से केलोस्ट्रॉल को काम करता है।
शहद
यह प्राकर्तिक रूप से निर्मित एक पौष्टिक तत्व है। जो स्वाद में भी उत्कृष्ट होता है। इसका प्रयोग गुनगुने जल के साथ सुबह सुबह करने से वजन काम होता है। और शरीर चुस्त रहता है।
आँवला
आँवला पूरे भारत मे आसानी से पाया जाना वाला फल है। जिसका प्रयोग आयुर्वेदिक रूप से महत्वपूर्ण है। आंवला में फाइबर, एंटी ऑक्साइड गुण प्रचुर मात्रा में होते है। यह विटामिन सी का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह एंटी एजिंग तत्व भी है जो घुटनों के दर्द और कमर दर्द में बी सहायक होता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
विभीतकी
यह पौधा पूरे भारत में पाया जाता है। यह अपने औषधीय गुण के कारण महत्व पूर्ण है। डाइबीटीज की समस्या के कारण भी बहुत से लोगों का वजन बढ़ता है और अनियंत्रित हो जाता है। यह डाइबीटीज की समस्या को दूर करता है। जिससे वजन के बढ़ने का खतरा काम ही जाता है।
शिलाजीत
शिलाजीत शरीर में चुस्ती पैदा करता है। क्योंकि अधिकांश लोगों का वजन आलसी पन के कारण ही बढ़ जाता है और वो दिन भर काम नहीं करते है। जिससे यह समस्या और विकराल होती जाती है। शिलाजीत शरीर में काम करने की ऊर्जा पैदा करता है। जिससे व्यायाम आदि करने की इच्छा प्रबल होती है। शिलाजीत को दूध के साथ प्रयोग किया जा सकता है।
तुलसी
तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है। तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।
जौखार
जौखार और चित्रकमूल को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण एक नींबू का रस, शहद और गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लगातार 40 दिनों तक पीएं। इससे शरीर की फालतू चर्बी समाप्त हो जाती है और शरीर सुडौल होता है। जौखार का चूर्ण आधा-आधा ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
एरण्ड
एरंड से काढ़ा बना कर षड में मिल कर पीने से मोटापे को काम करने में सहायता मिलती है। एरंड का प्रयोग हिंग के साथ भी किया जा सकता है।
अजवायन
अजवायन, सेंधानमक, जीरा और कालीमिर्च को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह खाली पेट छाछ के साथ पीएं। इससे शरीर की अधिक चर्बी नष्ट होती है।
Ye bhi Padein: Motapa Kam Karne Ke Lie Ayurvedic Dawa
अपामार्ग, कुलथी, पीपल, पालक, डिकामली, कुठ, लुके मगसूल, माधवी, बरना आदि का प्रयोग भी वजन काम करने में सहायक होगा।
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